आमचो बस्तर
बस्तर एक ऐसा स्थल जो अपनी संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता, वनाच्छादित पहाडियों और जंगल में रहने वाले जनजाति के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है | बस्तर को जानने की इच्छा आज भी बहुत से विदेशी सैलानियों को आकर्षित करती है और वर्तमान में भी बहुत से विदेशी पर्यटकों , सैलानियों और फिल्म निर्माताओं का आना लगा ही रहता है
बस्तर की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध का श्रेय देश विदेश के लेखक, पत्रकार, शोधकर्ताओं को जाता है | जिन्होंने बस्तर में रहकर यहाँ की संस्कृति, जनजातियों आदि के संबंध में लेख, उपन्यास लिखें | बस्तर की सभ्यता को जानने की जिज्ञासा ने Verrier elwin को अपने पास बुलाया और verrier elwin ने अबूझमाड़ में रहकर मुरिया जनजातियों का गहन अध्ययन कर muria and their ghotul ( मुरिया एडं देयर गोटुल ) नामक किताब लिखी और आज बस्तर विश्व विख्यात है
अपने नैसर्गिक सौंदर्य से ख्याति प्राप्त बस्तर पर्यटकों व सैलानियों का मन मोह लेती है| हरी भरी वादियाँ, नदियाँ, हरे भरे पड़े पौधे, वन और वन्य जीव पर्यटकों को आकर्षित करती है | यहाँ अनेक पर्यटन स्थल जो आज भी अज्ञात हैं| इस ब्लॉग में हम बस्तर के प्राकृतिक और मनोहर स्थलों के संदर्भ में चर्चा करेंगे
1. चित्रकोट
जगदलपुर से लगभग 38 किलोमीटर दुर इन्द्रावती नदी चित्रकोट जल प्रपात बनाती है| यह स्थान बहुत ही खुबसूरत है | इसे भारत का नियाग्रा भी कहा है | चित्रकोट जल प्रपात भारत का सबसे चौड़ा जल प्रपात है , जिसकी चौड़ाई 300 मीटर (लगभग 980 फिट) और उंचाई 25 मीटर ( 95 फिट) है | इसकी विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त-लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफेद दिखाई देता है।
2. तीरथगढ़ जल प्रपात
मुनगाबहार नदी यह जल प्रपात बनाती है | तीरथगढ़ जलप्रपात जगदलपुर से 35 किलामीटर की दूरी पर स्थित है | यह मनमोहक जलप्रपात पर्यटकों का मन मोह लेता है। यहाँ आने के बाद पर्यटकों का यहाँ से वापिस जाने का मन ही नहीं करता। पानी के गिरने से बना दूधिया झाग एवं सीढ़ी नुमा चंद्राकार घाटी से यह जल प्रपात स्वर्गीय अहसास कराता है | इस जल प्रपात में नीचे उतरने के लिए सीढ़ी की सुविधा है
3. चर्रे मर्रे जल प्रपात
यह कांकेर जिले में अंतागढ़ से 15 किलोमीटर दूर स्थित है। कांकेर जिले में अन्तागढ वनाच्छादित पहाडियों के बीच यह मनमोहक जल प्रपात स्थित है यहाँ पहुँचना बहुत सरल है और इसका पास से मनोरम नज़रा देखने के लिए नीचे उतरने के लिए सीढ़ियों की सुविधा है | इस झरने का मुख्य स्रोत जोगीधारा नदी है, जो मटला घाटी में बहती है जिसे स्थानीय लोगों द्वारा अंतागढ़ नदी या कुत्री नदी भी कहा जाता है। इस झरने को कांकेर जिले के गहना या मुकुट के रूप में भी जाना जाता है। यह 16 मीटर ऊंचा झरना है | यह जल प्रपात र्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटन का अच्छा समय अक्टूबर से दिसंबर तक है। मनोरंजन और पिकनिक के लिए यह जगह बहुत अच्छा है।
4. हंदवाड़ा जल प्रपात
यह जल प्रपात बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक के ग्राम पंचायत हांदावाड़ा में स्थित है | यह बहुत घने वन में स्थित है | डोंगरी पहाडी पर एक नाला यह जल प्रापत बनाता है | इसकी उंचाई लगभग 500 फिट है| यह छत्तीसगढ़ की अब तक की सबसे ऊंचा क्षरना है | यह पर्यटन स्थल नहीं है | कुछ लोगों का कहना है कि यहाँ फिल्म बाहुबली की दृृश्य की शूटिंग है लेकिन यहाँ शूटिंग नहीं हुई है वो दृश्य कम्प्यूटर ग्राफिक से फिल्माया गया है| लेकिन भविष्य में यहाँ फिल्म निर्माताओं की पसन्द हो सकती है|
5. कोलेंगकरपन गुफा
तीरथगढ़ जल प्रपात क्षेत्र में मादरकोंटा गाँव के पास टेकरी में स्थित है | इस गुफा में सूरज की एक भी किरण नहीं पहुंचती, यह गुफा बहुत ही विशाल है इसके भीतर विशाल कक्ष है | यह गुफा कोटमसर गुफा से भी विशाल है, यहाँ बड़ी बड़ी शैल आकृतियाँ है |कोलेंगकरपन गुफा हाल में ही खोजी गई एक विशाल गुफा है जो कि अन्धकार से भरा है यह पर्यटन स्थल नहीं है और इसके बारे में इंटरनेट में कोई भी जानकारी नहीं है|
6. चित्रधर जल प्रपात
यह झरना बहुत ही सुंदर और मनमोहक है | यह झरना जगदलपुर से 19 किलोमीटर दूर पोटनार में स्थित है | झरने के ऊपरी हिस्से में, भक्तों ने एक शिव मंदिर और झरना के आकर्षण को देखने के लिए एक प्रेक्षण स्थान बनाया है। यह झरना 50 फीट की ऊंचाई से गिरता है। अगला मुख्य झरना 100 फीट की ऊंचाई से नीचे की ओर बहता है और पहाड़ियों की ओर बढ़ता है।यहाँ आने का अच्छा समय बरसात का है, गर्मियों के दिनों इनकी रौनक कम हो जाती है |
7. कोटमसर गुफा
कोटमसर गुफा कांगेर घाटी पर स्थित है । जगदलपुर से कुछ दुरी पर वनग्राम कोटमसर है, जहां से यह लगभग 4 किलोमीटर दूर है । कोटमसर गुफा सतह के नीचे घने अंधेरे के साथ रहस्य और रोमांच की एक अद्भुत दुनिया है । पर्यटकों के लिए इस गुफा में प्रवेश करना रोमांच का अनुभव कराती है, मशालों, या टोर्च की सहायता से गुफा के आंतरिक भाग को अच्छी तरह से देखा जा सकता है । भूमिगत में प्रवेश करने पर, एक विशाल कमरा, है और विशाल रॉक ब्लॉकों का एक समूह, दीवारों और छतों पर, संगमरमर के तलछट और खुदाई वाले पत्थरों से सजाए गए सुंदर आकृतियाँ किसी को भी मोहित करते हैं । कई स्थानों पर, पत्थर के ब्लॉकों से मधुर संगीत निकलता है, जिसकी चर्चा विश्व स्तर पर होती है । इस गुफा की विशेषता यह है कि यह दुनिया की एकमात्र गुफा है जहाँ अंधी मछलियाँ पाई जाती हैं ।
8. केशकाल घाटी
रायपुर जगदलपुर मार्ग पर कांकेर से 26 कि.मी. आगे यह घाटी पड़ती है। इसमें 12 मोड़ और यह लगभग 4 कि.मी. लंबी है। इस घाटी की दूर-दूर तक वनाच्छादित हरी-भरी पहाडियां पर्यटकों का मनमोह लेती है। इस मार्ग की सैर आपको रोमांच की अनुभव कराती है|
9. कैलाश गुफा
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में एक भव्य गुफा पर्यटकों का मन मोह लेती है। जिसे कैलाश गुफा का नाम दिया गया है। इस गुफा में भूगर्भीय उतार तक पहुंचने के लिये सीढ़ियां है। इस गुफा की भीतरी दीवार तथा छतें शुद्ध संगमरमरी अवशैल तथा उत्शैल रूपी रत्नों से जड़ित है।
10. सकलनारायण गुफा
बस्तर संभाग में भोपालपटनम से लगभग 10-12 कि.मी. दूर पोसड़पल्ली की पर्वत श्रृंखला है, जिस पर विशाल द्वार युक्त गुफा है जिसे सकलनारायण गुफा कहते हैं। पास ही चिंतावागु नदी बहती है | इस सकलनारायण गुफा में स्थापित ईश्वर मूर्ति की दर्शक व पर्यटक दर्शन करते हैं और अपनी यात्रा सफल करते हैं । गुफा के अंदर कालिया दहन कुंड नाम का जलकुंड है| यह गुफा बहुत ही प्राचीन है
11 . अरण्यक गुफा
अरण्यक भ्रमण दल द्वारा खोजा गया 'अरण्यक गुफा' को प्रकृति का सबसे अनूठा उपहार कह सकते। हैं। मंगलपुर पहाड़ी पर 300 मी. ऊंचाई पर स्थित अरण्यक गुफा, संकरे प्रवेश मार्ग से लगभग 135 फीट गहरी उतरती चली जाती है। गुफा का भीतरी भाग अनेक हिस्सों में बंटा हुआ है। प्रारंभिक कुछ फीट नीचे उतरने पर गुफा 3 भागों में बंट जाती है |गुफा की छत पर भंवर की भांति मनमोहक दृश्य है। भीतरी दीवार कहीं सपाट; तो कहीं लहरदार रूप धारण कर राजमहल का आभाश कराती है। इन्हीं दीवारों और छतों में अवशैल तथा अत्यंत मनोहारी रचनाएं स्वर्गीय अनुभूति दिलाती है|
12. दन्तेवाड़ा
जगदलपुर से 86 km दुर शंखिनी और डंकनी नदी के किनारे दन्तेवाड़ा स्थित है | नदी के संगम स्थल पर माता दन्तेश्वरी का विशाल मंदिर है | यहाँ प्राचीन काल की अनेक प्रतिमाएँ है | यहाँ पुरुष धोती एवं महिला को साड़ी में पहनकर दर्शन की अनुमति है |ऐसी मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने से मुरादें पूरी हो जाती है और निवासियों का विश्वास अटल है। यहाँ श्रद्धालुओं का आना हमेशा लगा ही रहता है |
13. ढोलकल गणेश
जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से 13 किमी दूर स्थित ढोलकल गणेश बैलाडिला पहाड़ी में 3000 फीट ऊंचाई पर स्थित है यह एक सुंदर स्थान है , और यह मुख्य आकर्षण स्थल है। , यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है जो उन्हें रोमांच का अहसास कराता है |
14. बैलाडीला
बैलाडीला, किरंदुल व बचेली , भारत का सबसे विशाल लौह खनिज भण्डार है | बैलाडीला घनी प्राकृतिक वादियों व पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित है | यहाँ के पहाडियों का आकृति वृषभाकर होने के कारण इस का नाम बैलाडीला पड़ा |
15. सातधारा
यह बारसूर के निकट प्राकृतिक जल प्रपात है| सात अलग धाराओं के कारण इसका नाम सात धारा या सप्त धारा कहा जाता है
16. मलांजकुडुम
कांकेर नगर को दो भागों में विभाजित करने वाली दुध नदी का यह उद्गमस्थल है | यह मलांजकुडुम घाटी की चट्टानों से नीचे गिरते हुए जल प्रपात का रुप लेती है |मलाजकुंडम दूध नदी का जलप्रपात है। इस जलप्रपात का दृश्य नीचे से मनमोहक लगता है। चारों ओर हरियाली इसके सौंदर्य को और निखारती है। । जलराशि कहां से आ रही है यह जानने की जिज्ञासा चट्टानो पर उपर चढने को प्रेरित करती है। उपर से घाटी का मनोहारी रूप देखने को मिलता है। उपर जाने पर दूध नदी का उद्गम स्थल मिलता है। यही से धारा निकलती है और पहाडी से नीचे आकर नदी का रूप धारण करती है। जल नीचे आकर एक स्थान पर इकट्ठा होकर कुंड का रूप बनाता है। इसीलिये इसका नाम मलाजकुंडम पडा।
17. दलपत सागर
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जगदलपुर में स्थित है यह छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी झीलों में से एक है। वर्षा जल को जमा करने के लिए इसे राजा दलपत देव काकतीय ने बनवाया था। यह झील बहुत ही मनमोहक है, यह पिकनिक और आकर्षण का एक मनमोहक स्थल है | इस झील के मध्य में एक द्वीप है जिस पर भगवान शंकर का मंदिर है। वहाँ पहुँचने के लिए नाव लेनी पड़ती है। ।